Monday, August 19, 2019

इंदौर की तकनीक एशिया के 70 देशों में

इंदौर की तकनीक एशिया के 70 देशों में


 संयुक्त राष्ट्र संघ के जरिए एशिया महाद्वीप के 59 देशों के साथ ही दक्षिण पूर्वी एशिया के 11 देशों में भी इस्तेमाल करते हुए वह भी इस तकनीक के प्लांट लगाए जाएंगे गीले कचरे को जीरो वेस्ट के साथ खत्म करने की इंदौरी तकनीक 20 टन से लेकर 500 टन तक कचरे  को निपटारे के लिए डिजाइन किया जा सकता है जबकि कचरा खत्म करने के दूसरे प्लांट जिसने वेस्ट टू एनर्जी कचरे से खाद बनाने की तकनीक के प्लांट कम से कम 200 टन कचरे  को निपटाने के लिए लगते हैं बायोथेनाइजेशन के 25 टन क्षमता के प्लांट ने लगभग 9 करोड़ में ही काम करना शुरू कर दिया जबकि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट कम से कम 200 से ढाई सौ करोड़ की लागत में बनता है कचरे के प्लांट को चलाने में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है कचरे को निपटाने के लिए 100 टन कचरे को निपटाने में केवल 8000 लीटर पानी लगता है जबकि दूसरे प्लांट में वायु जल प्रदूषण की संभावना सबसे ज्यादा होती है इंदौर के प्लांट और यहां की तकनीक को सभी देशों के बीच रखा था इसके बाद इंदौर की जीरो वेस्ट तकनीक को दक्षिण पूर्वी एशिया और अफ़्रीका देशों में लगाने पर सहमति बनी है। स्वच्छ शहर के मामले में पूरे देश में सबसे आगे रहने वाला इंदौर।