Tuesday, August 13, 2019

आखरी फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ करेंगे


मध्‍यप्रदेश में अब जनता नहीं पार्षद चुन सकते हैं महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद अध्यक्ष                                                                                                                                         भोपाल। कांग्रेस सरकार नगरीय निकाय चुनाव में इस बार बड़ा बदलाव करने जा रही है। ज्यादा से ज्यादा नगरीय निकायों में कांग्रेस का कब्जा हो, इसके लिए कमलनाथ मंत्रिमंडल की उप समिति ने नगर पालिक निगम और नगर पालिका अधिनियम में कुछ संशोधन सुझाए हैं।


चुनाव में सबसे बड़ा बदलाव महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर होगा। अब तक जनता इन्हें सीधे चुन रही थी, लेकिन समिति ने सुझाव दिया है कि महापौर और अध्यक्ष पद का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराया जाए। इसके साथ ही दो बड़े बदलावों पर भी सहमति बन गई है। राज्य सरकार अध्यादेश लाकर इन्हें लागू करेगी। समिति ने अपनी मंशा मुख्यमंत्री कमलनाथ को बता दी है, अब आखिरी फैसला मुख्यमंत्री करेंगे। इस साल के अंत तक प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होने हैं। वर्तमान में 16 नगर निगम के महापौर समेत अधिकांश नगर पालिका और नगर परिषद पर भाजपा के अध्यक्ष काबिज हैं, लेकिन प्रदेश में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस इन निकायों पर अपना कब्जा चाहती है। इसी मकसद से अधिनियम में संशोधन के लिए सीएम कमलनाथ ने मंत्रीमंडल की उप समिति का गठन किया है। अब समिति से मिले प्रस्तावों को कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। इसके बाद अध्यादेश भी लाया जाएगा।  मंत्रियों की बैठक में बात आई कि यदि तय समय पर नगरीय निकाय चुनाव हुए तो कांग्रेस ज्यादातर सीटों पर हारेगी। महापौर और अध्यक्षों का चुनाव जनता करती है तो इसका फायदा भाजपा को मिल जाएगा।  इस मामले में भी कांग्रेस का मानना है कि प्रदेश में अभी सरकार बने सिर्फ छह महीने हुए हैं और इस दौरान कोई बड़ी उपलब्धि जनता के बीच नहीं गई है। ऐसे में यदि चुनाव बिना सिंबल के होते हैं तो इसका फायदा कांग्रेस को ज्यादा मिलेगा।   कांग्रेस सरकार का मानना है कि छह महीने का वक्त लंबा होता है। ऐसे में सरकार जैसे ही कोई अच्छा काम कर जनता में अपनी छवि बनाती है तो उसके दो महीने के अंदर चुनाव कराकर इसका फायदा चुनाव में ले लिया जाए। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने नगरीय निकाय चुनावों को फिलहाल टालने का मन बना लिया है। यह चुनाव नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित थे। दअरसल, नगर निगम या नगर पालिका-परिषद के कार्यकाल की गणना परिषद की पहली बैठक से की जाती है। ज्यादातर निकायों की पहली बैठक फरवरी 2015 में शुरू हुई थी। इसे आधार बनाकर कुछ महीने सरकार चुनाव टालेगी। प्रदेश में करीब 327 नगरीय निकायों में चुनाव होना है। वार्डों का परिसीमन और आरक्षण जिला कलेक्टर को करना था। वहीं महापौर-नगर पालिका अध्यक्ष का आरक्षण राज्य स्तर पर होना है। यह काम फिलहाल स्र्क गया है। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता पुनरीक्षण का काम भी फिलहाल टाल दिया है।